कला प्रकृति की

Aaryan Bhalla
14 min readOct 2, 2020

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प्रकृति और पर्यावरण बड़ा ही अनोखा और अद्वितीय है । इस प्रकृति में विभिन्न - विभिन्न प्रकार के कई जीव जंतु तथा पक्षी हैं ।
इन्हीं में से एक पक्षी है दर्जिन चिड़िया जिसे टेलर बर्ड के नाम से भी जाना जाता है ।
हम सभी ने अपने बचपन में कई घोंसले देखे हैं।

मैंने भी लॉकडाउन में कई घोंसले देखे यह लॉकडॉउन में मेरा चौथा घोंसला है ।
पक्षियों के पास अपने घोंसले बनाने के लिए अलग - अलग अनोखे तरीके होते हैं जो कि इंसान भी हाथों से नहीं बना सकते।

इसी में से टेलरबर्ड का घोंसला भी बड़ा अनोखा होता है क्योंकि यह पत्तों मैं बनाया जाता है जो कि काफी मुश्किल भी है । इसे टेलर बर्ड भी कहा जाता है क्योंकि यह एक ही बड़े से पत्ते को मकड़ी के जालों तथा रुई से सी कर उसमें अंडे देती है ।
छलावरण इसे शिकारियों को हमला करने से बचाने में मदद करता है।

मैंने देखा कि एक टेलर बर्ड गोल्डन कैना कि पौधों के बीच रुई लेकर जा रही थी । परंतु मैं घोंसले का स्थान ना ढूंढ सका । फिर दूसरी बारी में जब टेलर बर्ड तिनके लेकर आई तो मैंने देखा कि उसने गोल्डन कैना के एक बड़े से पत्ते मैं छलांग लगाई और तिनके कर रख कर उड़ गई ।

यही है वह खुशनसीब पता जिस पर टेलर बर्ड ने अपना परिवार बसाने का फैसला किया। अगर कोई भी व्यक्ति पार्क में फुटपाथ पर सैर करता है तो उसका ध्यान इस घोंसले पर बिलकुल भी नहीं जाता क्योंकि सब अपने काम में व्यस्त हैं परंतु कुछ समय निकालकर हमें पक्षियों के बारे में जानना चाहिए ।

इसने घोंसला कई सी चीजों से बनाया जैसे कि तिनकों से, सूखे पत्ते से, मकड़ी के जाले से भी । परंतु, पत्तों को आपस में जोड़ने के लिए इस में सबसे ज्यादा रुई का इस्तेमाल किया गया है और घोंसला बड़ी ही अच्छी तरह से 2 पत्तों को आगे कर छुपाया गया है ।

हर चिड़िया जब भी अपना घोंसला बनाती है वह अपने घोसले को अच्छी तरह से किसी ना किसी चीज से बांध कर रखती है क्योंकि यदि तूफान या आंधी आए तो इसका घोंसला टूटता नहीं है ऐसा ही टेलर बर्ड ने भी किया ।

13 जुलाई 2020, रविवार

आज के दिन जब मैं घोंसले को देखने गया । तो मैंने जैसे ही घोसला देखने के लिए एक पत्ते को हटाया तब मैंने देखा कि घोंसले में से टेलरबर्ड निकली और उसमें मुझे सफेद रंग का कुछ दिखा तो मुझे लगा यहां अंडे होंगे और टेलर बर्ड ने अपने तीन छोटे-छोटे अंडे दिए । अंडों की संख्या जब पूरी हो जाती है, तब उनका सेना प्रारंभ होता हैं। पक्षी बड़ी लगन और तत्परता से अंडे सेते हैं, अपने पंखों से उन्हें गरम रखते तथा उनकी रक्षा भी करते हैं ।

फोटोस खींचते समय यह काफी बड़े लगते हैं परंतु हू - बहू यह काफी छोटे होते हैं और इन्हें निकलने में 12 दिन लगते हैं। तो चलिए अब इस टेलर बर्ड के छोटे-छोटे बच्चों का हम इंतजार करते हैं और बिना टेलर बर्ड को तंग करें । उसके बच्चों का खुशी से इस खूबसूरत दुनिया में स्वागत करते हैं।

18 जुलाई 2020, शनिवार

आज का यह खुशहाल दिन । मुझे पूरे 12 दिन इस पल को देखने के लिए इंतजार करना पड़ा । आज टेलर बर्ड के 3 बच्चों का जन्म हो गया । तथा आज मुझे पता लगा कि अंडे तीन नहीं बल्कि चार थे क्योंकि इसमें एक अंडा नजर आ रहा है ।

इस तस्वीर में जरूर आपको वह चौथा अंडा नजर आ रहा होगा ।

छोटे - छोटे बच्चे घोंसले की आहट से जलती अपना मुंह खोल लेते हैं । घोंसले में टेलर बर्ड के बच्चों की फोटो खींचना बड़ा ही कठिन लगता है क्योंकि इनका घोंसला पत्ते में काफी अंदर तक बना हुआ है । जिस कारण घोसले में फोन नहीं जा पाता ।

कीड़ों की सफाई करने में टेलरबर्ड बड़ी ही माहिर होती है । यह हर तरह के कीड़ों को खा कर उन्हें साफ़ कर देती है तथा अपने बच्चों को खिला कर उन्हें बड़ा करती है ।

अगर मादा चिड़िया बच्चों के लिए खाना लेने जाता है तो नर ( पिता ) हमेशा घोंसले के नजदीक पहरे पर रहता हैं । साथ ही कभी-कभी उल्टा भी हो जाता है इसलिए अपने बच्चों का ध्यान रखना इन्हें अच्छी तरह से आता है।

19 जुलाई 2020, रविवार

आज इस टेलर बर्ड के आखरी और चौथे बच्चे का भी जन्म हो गया । मैंने देखा कि चिड़िया अंडे का छिलका लेकर जा रही थी । तब मुझे पता चला की चौथे अंडे में से भी बच्चा निकल गया है । जब मैं उन्हें देखने गया तो वही चौथे वाला बच्चा अभी सुस्त था और सो रहा था ।

यह सभी एक दूसरे पर बैठकर एक दूसरे को गर्म रखते हैं । अभी इनकी आंखें भी नहीं खुली है , उन्हें खुलने में थोड़े दिन लगेंगे।

मैं इन बच्चों को बिना इन्हें तंग करे देखना चाहता था तो इसलिए मैंने अपने जानेका समय थोड़ा देर से बदल दिया जब इनकी मां बाहर होती थीं। हर बार जब मैं चूजों के घोंसले में प्रवेश करता तो भोजन के लिए अपनी चोंच खोल लेते । मानो कह रहे हो “माँ मुझे पहले ! पहले मुझे दो !"

20 जुलाई 2020, सोमवार

जब भी मैं उनके इलाके में घुसने की कोशिश करता हूं तब पीछे से शोर मचाने की आवाज आ जाती थी जैसे मां पिता को चिता रही हो और कह रही हो कि - "बच्चे खतरे में हैं ।"

टेलर बर्ड मां पेड़ पर बैठी हुई चिल्लाती हुई मुझे दिखाई दी ।

इनमें से अब दो बच्चों की पीठ पर पंख निकलने भी शुरू हो गए हैं । परंतु अच्छे से पंख निकलने में अभी कुछ दिन लगेंगे ।

एक दूसरे पर लेट कर सोने में इन्हें काफी मजा आता है ।

24 जुलाई 2020, शनिवार

आज मैं यह देखकर आश्च्यचकित रह गया कि आखिर चार बच्चों में से दो बच्चे कहां गायब हो गए ? परंतु आज इन दोनों बच्चों की छोटी छोटी आंखें खुल गई हैं ।

यह बच्चे अब काफी बड़े हो गए और अभी बाहर भी निकालने लग गए हैं तथा अपना मुंह घोंसले के बाहर भी निकाल लेते हैं ।

यह दोनों पहले खाना मांगने के लिए आपस में लड़ाई करते दिखाई देते हैं ।

पक्षियों को बचाने के लिए पक्षी प्रेमी भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। मेरे बाद एक पक्षी प्रेमी हमारी खाना पकाने वाली दीदी है जिनका नाम सीमा सक्सेना है जो मेरी बड़ी बहन की तरह है। वह गौरैया को अपनी भाषा में घरेलू चिड़िया भी कहते हैं । उनकी के बारे में उन्हें काफी कुछ पता है क्योंकि उन्होंने अपने गृह नगर (लखनऊ) में कई गौरैया के घोंसले और गौरैया के बच्चे देखे हैं।
उनहें भी मेरी कहानियाँ पसंद हैं। और हम दोनों को इस जुलाई की चिलचिलाती दोपहर में टेलोरबर्ड के बच्चों को देखने के लिए बाहर जाने का एक कारण है क्योंकि गर्म दोपहर के दौरान कोई भी पार्क में नहीं होता।

• ' फिर से एक और बार '

“जीवन तुमने दिया है, संभालोगे तुम” कहानी में इंडियन वाइट आई के बच्चों की यात्रा सफल रही । घोंसले से लेकर पहली उड़ान तक वह खुशी से इस उन्मुक्त गगन में उड़ गए ।
मुझे आज तक अपनी जिंदगी में इतनी घोंसले नहीं मिले जितने लॉकडाउन के दौरान कोरोनावायरस में दिखे ।
लेकिन खास बात यह है कि जहां पर पिछली इंडियन वाइट आई चिड़िया ने घोंसला बनाया वह घोंसला एक दिन अचानक तेज बारिश से टूट कर गिर गया । जो मैंने घर लाकर रख लिया पर चमत्कार यह हो गया कि उसी जगह सेम डाली पर झूले जैसा लगता एक और ही इंडियन वाइट आई ने फिर से घोसला बनाकर तीन अंडे दिए ।

जब इस चिड़िया के बच्चे घोंसले में से उड़ गए तो इसका घोंसला टूट गया तो मैं इसे अपने घर ले आया ।

मां पक्षी द्वारा ऊष्मायन शुरू

साथ ही यह अंडे उस इंडियन वाईट आाई की है जिसने घोंसला पुनः बनाया । शायद वह दोनों सहेलियां होंगी और उन दोनों में बात हुई होगी 🤣 कि यहां से मेरे बच्चे तो इस खूबसूरत आसमान की सीमा छूने के लिए उड़ गए तुम भी यहां प्रयास कर कर देखो ।

पुनः वाइट फिग के पेड़ पर ही दो डालियों पर झूले की तरह इंडियन वाइट आई ने घोंसला बनाया और अंडे दिए । यह भी प्रकृति की कला में शामिल है क्योंकि दो डालियों के बीच झूले की तरह घोसले को लटकाना कोई आसान काम नहीं दो डालियों पर घोसले को काफी मजबूती से जोड़ा जाता है ।

इस बार घोंसला थोड़ा ज्यादा बड़ा बनाया गया है । अब यह लोकडाउन के दौरान मेरा पांचवा घोंसला है ।

26 जुलाई 2020, रविवार

आज ज्यादा धूप वाला दिन ना था । जब भी में इनकी फोटोस कैमरे में कैद करने जाता हूं । ना जाने यह मुझे क्या समझते हैं और घूर घूर कर देखने लग जाते हैं ।

उनकी आँखें अब अधिक बड़ी थीं, पैर लंबे पंजे के साथ दिखाई दे रहे थे।

पहले वे मुझे लानत नहीं देते। लेकिन, जब मैं वहां खड़ा रहता हूं तो वे भोजन के लिए चिल्लाते हैं। अब मैं खुश हूँ क्योंकि वे अब अपने गले से स्वर पैदा कर सकते हैं।

27 जुलाई 2020, सोमवार

उनके तेज तर्रार और मजबूत पीले चोंच बाद में भोजन लेने के लिए एकदम सही हथियार और उपकरण बन जाएंगे। काले पर हरे रंग में बदल गए हैं। फ़्लाइट पंख फिर आस्तीन में बढ़ते हैं। उनके पास पहले से ही पूरा काला किशोर है। अब, इस घोंसले में बहुत कम दिन बचे हैं।

29 जुलाई 2020, बुधवार

आज मैं घोंसला नष्ट हुआ देख और गायब हुआ देखकर बेचैन हो गया क्योंकि सुबह तक घोंसला था।

मुझे बहुत दुःख हुआ और मैं इस बात पर अड़ा रहा कि चूजे कहाँ गए? लेकिन, जब मैंने माँ चिड़िया को कुछ खाद्य सामग्री अपने मुँह में लेते देखा।

मैंने पार्क के गेट के प्रवेश द्वार पर माँ को देखा। चीखते और चिल्लाते

फिर, मैंने देखा कि कुछ जमीन पर चल रहा था और वह वहीं छोटा सा टेलर बर्ड का चूज़ा था। वह बड़ा ही प्यारा था । वह जमीन के समर्थन से धीरे-धीरे उड़ रहा है और घास में जाकर छिप गया।

फिर, मैंने देखा कि चूजा घास के बाहर आ गया था और डर भी रहा था। फिर, सीमा दीदी और मैं दोनों इसके पास गए और इसकी मदद की।

इसके माता-पिता इसके स्थान का पता लगाने में असमर्थ थे। इसलिए हमने उसे माता-पिता के पास रख कर उनके बच्चे को खोजने में मदद की।

हमने उसको गुलाब की एक शाखा पर रख दिया और उन्होंने उसको ढूंढ भी लिया। फिर हमने उसको उसके माता पिता के पास ही छोड़ दिया ।

Indian White Eye Nest

3rd nest

आइए अब हम देखते हैं कि इंडियन वाइट आईने अपने घोंसले में क्या क्या जोड़ा है ?
यहां ऊपर दिया गया है एक पाई चार्ट ।
टहनियाँ : 38.9%
• प्लांट फाइबर : 33.3%
• काउबल्स : 11.1%
• लाइकेन : 11.1%
• बाल : 5.6%

वाह ! कितने छोटे आज जन्म हो ही गया। हाश ! इन्हें देखने के बाद मेरे मुंह से ऐसे ही कुछ शब्द निकल । आज इस इंडियन वाईट आई के दो बच्चों का इस अद्भुत संसार में जन्म हो गया ।

परंतु, अब भी इसका एक अंडा जन्म के लिए बाकी है । रक्षाबंधन के इस शुभ दिन पर होगा उस आखिरी बच्चे का जन्म आशा यही करते हैं हम कि वह तीसरा बच्चा इन दो चूज़ों की बहन हो ।

वाह कितने छोटे हैं यह । बहुत प्यारे
'भगवान बहुत अद्भुत है । '

3 अगस्त 2020, सोमवार

पारभासी के कारण उनके दिल भी दिखाई देते हैं क्योंकि वे सिर्फ त्वचा के नीचे हैं।
तीनों भाई-बहन के लिए केवल एक दिन गया है और उनका फर कोट अब बढ़ रहा है। (शरीर से बाहर आ रहा है ।)

5 अगस्त 2020, बुधवार

इंडियन वाईट आई की डायपर ड्यूटी:
क्या आपने कभी सोचा है, जब ये छोटे पक्षी अपनी चूजों को नॉन स्टॉप खिलाना शुरू करते हैं, कहां सभी चूज़ों का गंड जाता है?
कैसे यह छोटी चिड़िया नेस्ट सेनिटेशन बनाए रखती है?

पक्षियों द्वारा उत्तर सबसे आश्चर्यजनक लेने में निहित है शिशुओं का गंद डिस्पोजेबल बैग की तरह सामने आते हैं जो इसे एक साथ रखता है, जिसे ' फ़ेकल सैक' कहा जाता है। पक्षी वह बैग अपने मुंह में उठाता है और उसे घोंसले से कुछ दूरी पर गिरा देता है। ये फ़ेकल सैक्स प्रोटियन श्लेष्मा झिल्ली से बने होते हैं और चूज़ों के गंद को ले जाने के लिए 'डिसपोज़ेबल डायपर' के रूप में कार्य करते हैं। तो कल्पना करें कि पूरे दिन या पूरे खिला अवधि में कितना शौच। इस तरह वे नेस्ट को साफ, बैक्टीरिया मुक्त, गंध मुक्त रखते हैं, इस प्रकार शिकारी मुक्त भी रखते हैं और इस तरह शिशुओं के बचने की अधिक संभावना होती है।
अद्भुत प्रकृति !!!
है ना?

• 7 अगस्त 2020, शनिवार

इंडियन वाईट आई के बच्चों ने सामाजिक दूरी घोंसले में बनाई रख रही थी और एक दूसरे को पीठ दिखाकर लेटे हुए थे। जैसा कि मैंने सोचा कि वे आपस में लड़ चुके हैं और एक-दूसरे से नाराज हैं।

हम दोनों (सीमा दीदी और मैं) वाइट आई के बच्चों को देखने के लिए पार्क जाते हैं क्योंकि दोपहर के समय, जब कोई पार्क में नहीं होता है।

यह मेरे पसंदीदा पार्क में से एक है। यह वास्तव में सेक्टर 9 पंचकूला के पार्क नंबर 903 (मेरे घर के सामने) है। मैंने कोरोना वायरस महामारी के दौरान लॉकडाउन और अनलॉक दिनों में भी इस पार्क में कुल 4 घोंसले देखे हैं।

आनंद के साथ दोस्तों के साथ खेलना और फिर बारी के लिए लड़ना हमारी पार्क की यात्रा का भी हिस्सा है। छुपन छुपाई खेलना, साइकिल चलाना, बर्फ और पानी, पक्कड पकडी, उच नीच का पापड़ा आदि भी हमारे द्वारा इस पार्क में ही खेले जाते हैं। मैं कभी चला जाऊं पर इस पार्क को कभी नहीं भूलूंगा। इसे वीटा पार्क के नाम से भी जाना जाता है (हमारे द्वारा)। हमारी मुख्य शरारतें हैं -: भट्ट अंकल (पार्क प्रभारी) द्वारा घास पर चलने के बाद डांट खाना या वीटा बूथ के शेड पर चढ़ने के लिए डांटा जाना आदि भी।

8 अगस्त 2020, शनिवार

वे अधिक लंबे थे और आकार बड़ा था, उनकी पंखुड़ी अब सफेद और हरे रंग में बदल रही थी। सिर पर पंख भी उग रहे थे।

9 अगस्त 2020, रविवार

आज मैं धीरे-धीरे उनके घोंसले में घुसा और मैंने देखा कि छोटे छोटे तारों की तरह उनकी आंखें खुल चुकी थी और वह मां समझ कर अपना मुंह खोल रहे थे ।

आज ऐसा पहली बार हुआ कि मां इंडियन वाइट आई मेरे ऊपर अपने बच्चों को बचाने के लिए चिल्लाई क्योंकि वह कोई भी जोखिम अब नहीं उठाना चाहती थी क्योंकि अब उसके बच्चे काफी बड़े हो गए हैं और इसलिए वह डर रही थी

पिछले कल के मुकाबले इन के पंख आज काले, हरे, पीले और भूरे रंग के लंबे-लंबे निकल गए थे । अब कल इन के पंख पूरी तरह से हारे हो जाएंगे अब हम कल का इंतजार करते हैं ।

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Aaryan Bhalla
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Written by Aaryan Bhalla

Nature and birds Lover, Traveller, & musician..☺️☺️

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