जब मैंने उन्हें देखा पंखों के साथ
21 मई 2020, गुरुवार
हम सभी लॉकडाउन के चौथे चरण में हैं ।
बुलबुल के अंडों के बाद भगवान ने मुझे एक और पार्क में से आशा की किरण दी ।
इसी बुलबुल की कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक को दबाइए
“मेरी अधूरी कहानी” by Aaryan Bhalla
आज शाम को मुझे पापा ने पार्क में से माली को किसी काम के लिए बुलाने को बोला तो मैं पार्क में जाकर माली को बुलाने गया । लेकिन माली ने मुझे एक चीज दिखाइ और वह चीज देखकर मेरे खुशी का ठिकाना ना रहा और मैं खुशी से पागल हो गया । फिर मैंने घर आकर फटाफट से फोन उठाया और यह तस्वीर खींची ।
मैंने एक छोटे से मुट्ठी भर घोसले में तीन छोटे छोटे प्यारे से सोते हुए किसी चिड़िया के चूजे देखे और वह चूजे बड़े ही प्यारे थे । उनके छोटे छोटे पंख भी निकले हुए थे । ऐसा लग रहा था कि वह कम से कम 5 से 6 दिन के होंगे। फिर जब मैंने थोड़ा सा डाली को हिलाया । तो एक बच्चे ने नींद से उठ कर मुझे अपनी मां समझा और अपने मुंह खोल कर बोला होगा की - " मां पहले खाना मुझे दो मुझे काफी भूख लगी है मेरे भाई बहन अभी सो रहे हैं । " तो मैंने झट से इसकी तस्वीर ले ली ।
लेकिन फिर मुझे बुलबुल के अंडों का ख्याल आया । जैसे हमने उनको खो दिया वैसे ही मैं इन्हें नहीं अब खोना चाहता इसलिए मैंने जल्द से जल्द इन से दूरी बना ली क्योंकि अगर किसी दूसरे जानवर की इन पर नजर पड़ गई । तो अच्छा नहीं होगा तो मैंने यह निर्णय लिया कि मैं कम से कम इनके पास जाऊं और यह जानू कि यह किस चिड़िया के बच्चे हैं ।
22 मई 2020, शुक्रवार
मैंने कल रात ही यह निर्णय ले लिया कि मैं सुबह जल्दी उठकर पार्क में जाकर देख लूंगा कि यह बच्चे कौन सी चिड़िया के हैं । फिर
पापा के साथ मैं पार्क गया वहां पर हमने देखा घोसले में थोड़ी हलचल हो रही थी और उसमें एक पीले रंग की चिड़िया बैठी हुई थी ।
परंतु , उस चिड़िया को मैं पहचान ना सका तो मैं जैसे ही चिड़िया की तस्वीर लेने गया तो वह डर के उड़ गई। तो फिर मैंने घोसले में झांका और घोसले में भी आराम से बेचैन होकर तीनों बच्चे सो रहे थे और जब कभी भी मैं पापा से कुछ कहता वह बच्चे अपनी मां मुझे समझ कर अपना मुंह खोल लेते । लेकिन जब हमारे ऊपर कौवे उड़ रहे थे तो हम वहां से चले गए ताकि कौवे को कुछ पता ना लगे ।
फिर घर आकर मैंने Google Lens app की मदद ली । उस पर मुझे इस चिड़िया का नाम मिल गया और इस चिड़िया का नाम है - भारतीय सफेद आंख की चिड़िया या 'Indian White Eye Bird..'
23 मई 2020, शनिवार
आज सुबह फिर जल्दी उठकर मैं पापा के साथ पार्क गया । आज घोसले में मां नहीं बैठी हुई थी और फिर जो हमने घोसले में देखा वह बहुत दुखद था । घोसले में तीनों बच्चों में से केवल एक ही बच्चा था । पहले हमें लगा कि वह सो रहा होगा तो हमने घोसले को बहुत जोर जोर से हिलाया । परंतु , वह हम सब को अलविदा कह चुका था । शायद गर्मी के कारण वह मर गया क्योंकि कल बहुत तेज धूप थी और
माली ने पेड़ जब काटा तब से उनके ऊपर बहुत तेज सूरज की बिल्कुल सीधी धूपी आ रही थी । तो घोसले में वह कुछ उखड़ा उखड़ा गिरा पड़ा हुआ था और उसकी चोंच भी सूखी हुई थी और बाकी दो का कोई नामोनिशान ही ना था । ऐसा लगा कि बाकी दोनों को कहीं मां ले गई हो । वरना अगर किसी दूसरे बड़े जानवर नहीं उन दोनों बच्चों को खाया होता तो इस बच्चे को क्यों छोड़ा होता ??..
तो बुलबुल की अंडो की फिर मैंने इन्हें भी खो दिया और यह मेरे साथ केवल 2 दिन ही बिता पाए । फिर शाम को पार्क में मुझे माली मिले और मैंने उन्हें बताया कि ऐसा हुआ तो उन्होंने कहा कि कल शाम को जब मैं काम कर रहा था तब चिड़िया अपने दो बच्चों को बारी-बारी मुंह में दबाकर कहीं और ले जा रही थी और यह सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा क्योंकि चिड़िया के कम से कम 2 बच्चे तो बच गए तो मैंने केवल इन्हें देखा पंखों के साथ मैं तो इनकी आंखें भी नहीं देख सका क्योंकि अपनी आंखें खोलने से पहले ही यह चले गए । अब मैं आशा करता हूं कि मुझे फिर कोई घोंसला दिखे । और यह आशा की किरण पार्क में से भी अंधेरे में बदल गई । परंतु , भगवान के घर देर है अंधेर नहीं ।
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